विश्व की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले काशी को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है. मान्यता अनुसार काशी में 33 कोटि देवी देवता विराजमान है. काशी में भगवान शिव के रुद्र रूप के 8 भैरव विराजमान है, इनमें से बाल्य स्वरूप बटुक भैरव का मंदिर विशेष महत्व रखता है. बटुक भैरव मंदिर काशी के कमच्छा क्षेत्र में स्थित है. यहां पर भगवान को प्रसाद के रूप में मिठाई तो कम लेकिन टॉफी, बिस्कुट, चॉकलेट नमकीन ज्यादा भोग लगाया जाता है. प्रसाद स्वरूप भक्त भी यही प्राप्त करते हैं. भैरव अष्टमी के दिन बाबा को केक का भोग भी लगाया जाता है.
काशी में मान्यता है कि बाबा बटुक भैरव के दर्शन के बाद ही केदारनाथ बाबा का दर्शन करना चाहिए. मंदिर में प्रत्येक रविवार और मंगलवार को भक्तों की विशेष भीड़ रहती है. भैरव अष्टमी पर भक्तों का तांता लगा रहता है. बुधवार को भी भैरव अष्टमी को मौके पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. जितेंद्र मोहन पुरी बताते हैं कि यहां बटुक भैरव बालस्वरूप में हैं.
बाबा भक्ति श्रद्धा और भाव के भूखे हैं. जिस प्रकार एक बालक को प्रेम से जो भी चीज दिया जाता है, वह स्वीकार कर लेता है. वैसे ही बटुक भैरव है, छोटे बालक की तरह कुछ भी पहना दीजिए, कुछ भी खिला दीजिए. उसी तरह लोग उसी भाव से बाबा को भी टॉफी, बिस्किट, नमकीन, चॉकलेट चढ़ाते हैं. विशेष अवसरों पर बाबा को मदिरा और काले उड़द का बना हुआ बड़ा, फल और बेसन का लड्डू भी चढ़ाया जाता है.
मान्यता भक्तों का ऐसा भाव है कि यह सब चीज हम भगवान को चढ़ाएंगे तो उनका परिवार खुश रहेगा. उनके बच्चे खुश रहेंगे स्वस्थ रहेंगे और यही एक ऐसे भगवान है.मनोकामना को पूर्ण करते हैं कष्टों को दूर करते हैं. हैदराबाद से आए श्रद्धालुओं ने बताया यह बटुक भैरव मंदिर बहुत ही अच्छा मंदिर है. बाबा का दर्शन अच्छे से हुआ दर्शन करने मात्र से शांति प्राप्त होता है. एक भक्त सौरभ श्रीवास्तव ने बताया मैं प्रतिदिन बाबा बटुक भैरव का दर्शन करने आता हूं यहां दर्शन करने से मुझे शांति और शक्ति प्राप्त होती है. बाबा काल भैरव का या बालस्वरूप बटुक भैरव बाबा है इसीलिए बाबा को टॉफी बिस्कुट और चॉकलेट चढ़ाया है.