त्रिलोचन महादेव मंदिर लखनऊ-वाराणसी राजमार्ग पर जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर त्रिलोचन कस्बे से सटा हुआ त्रिलोचन महादेव का प्राचीन ऐतिहासिक शिव मंदिर की महिमा अपने आप में विख्यात है। यहां पर विराजमान शिव¨लग के बारे में कहा जाता है कि यहां पर शिव¨लग कहीं से लाई नहीं गई थी अपितु स्वयं महादेव सात पाताल को भेदकर यहां विराजमान हुए हैं। यहां के पुजारियों के अनुसार स्कंद पुराण में इस शिव¨लग का उल्लेख है।
-अटूट आस्था के साथ तमाम रहस्यमय गाथाओं को त्रिलोचन का प्राचीन व ऐतिहासिक शिव मंदिर समेटे हुए है। हालांकि कोई यह नहीं बता पाता है कि इस स्थान का नाम त्रिलोचन क्यों पड़ा है, ¨कतु यहां के पुजारियों का कहना है कि तीसरी नेत्र खोलकर बाबा भोले शंकर ने यहीं पर भस्मासुर को भस्म किया था।
अपितु उस पर पूरा चेहरा, आंख, मुंह, नाक आदि बना हुआ है। आज भी साफ तौर पर देखा जा सकता है। इस प्राचीन शिव मंदिर में शिव¨लग स्पष्ट रूप से उत्तर दिशा में पीछे झुका है। प्रचलित गाथा हर किसी की जुबान पर है। बताते हैं कि किसी जमाने में रेहटी और लहंगपुर समीपवर्ती दो गांवों के लोगों में विवाद हुआ था कि यह शिव मंदिर किस गांव की सरहद में है। पंचायतों से फैसला नहीं हुआ तो दोनों गांव के लोगों ने मंदिर का मुख्य गेट बंद कर दिया। फिर जब वह खुला तो लोगों की आंखें आश्चर्य से फटी रह गई। शिव¨लग उत्तर दिशा में रेहटी गांव की तरफ स्पष्ट रूप से झुका हुआ था। तब से इसे उसी गांव में माना जाता है। तैयारियां- त्रिलोचन महादेव मंदिर महाशिवरात्रि को हजारों की संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक करने के लिए आते हैं। ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए पर्याप्त पुलिस की व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा की गई है। पर्व को लेकर पूरी तैयारी है। जिले के उच्चाधिकारियों द्वारा समय-समय पर निरीक्षण कर यहां की सुविधाओं का जायजा लिया जाता है। सावन माह में नियमित मंदिर व धर्मशाला की साफ-सफाई की जाती है। पर्व को देखते हुए प्रकाश व पेयजल की भी समुचित व्यवस्था है। मंदिर प्रशासन के अलावा व्यापार मंडल व स्थानीय नागरिक भी कांवरियों व श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए तत्पर रहते हैं।
सावन माह में भोर के चार बजे से भक्तों के लिए कपाट खोल दिए जाएंगे। मंदिर की साफ-सफाई हो रही है। दर्शनार्थियों को भोलेनाथ का दर्शन व जलाभिषेक कराने की समुचित व्यवस्था है।