लाट भैरव मंदिर कहने को ये काशी का प्रसिद्ध मंदिर है। सैकड़ों श्रद्धालु हर रोज यहां दर्शन पूजन करते हैं। लेकिन इस मंदिर में हिंदू इतने लाचार और बेबस हैं कि अपने आराध्य देव को एक छत नहीं दे सके। बेबसी ऐसी की बाबा के सामने ही नमाज अदा की जाती है।
अयोध्या में लंबे समय तक रामलला तिरपाल के नीचे रहे लेकिन वाराणसी का एक ऐसा मंदिर है जहां पर काशी विश्वनाथ के रूप कहे जाने वाले बाबा लाट भैरव को एक तिरपाल तक नसीब नहीं हो पा रही है। लंबे समय से मुस्लिम तुष्टिकरण के चलते बाबा लाट भैरव खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। यही नहीं हर शुक्रवार को बाबा के ठीक सामने जुमे की नमाज अदा की जाती है। हालांकि अब हिंदू संगठन इसे लेकर आरपार की लड़ाई के मूड में आ गए हैं।
मुगल आक्रांता औरंगज़ेब ने साल 1669 में काशी के अन्य मंदिरों की तरह इस मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण करा दिया था। तब से लेकर आज तक हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच लड़ाई चलती आ रही है। हालांकि अब हिंदू आर-पार की लड़ाई के मूड में आ चुके हैं। ज्ञानवापी मस्जिद के खिलाफ मुहिम छेड़ने वाले हिन्दुओं ने ना सिर्फ अब लाट भैरव मस्जिद को लेकर भी अपना दावा मजबूत करना शुरू कर दिया है बल्कि एक बड़े आंदोलन को लेकर तैयारी शुरू कर दी है। इसकी तस्दीक ये तस्वीरें कर रही हैं। इन तस्वीरों में दिख रहे ये वही किरदार हैं, जिन्होंने ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस में हिंदुत्व का झंडा बुलंद किया। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा है की आने वाले दिनों में ज्ञानवापी की तर्ज पर लाट भैरव मंदिर की लड़ाई को धार दिया जायेगा।
हिंदू पक्ष का दावा है कि सालों पहले मंदिर के पक्ष में फैसला आ चुका है लेकिन तत्कालीन सरकारों ने मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति के चलते फैसले पर अमल नहीं किया। मंदिर में किसी तरह के निर्माण की इजाजत दी जा रही है। यही नहीं हर शुक्रवार को मंदिर के परिसर में मुस्लिम समुदाय के लोग जुमे की नमाज अदा करते हैं।
हालांकि अपना हक पाने के लिए हिंदू पक्ष के एक धड़े ने साल 2021 में वाराणसी के सिविल कोर्ट में एक मुकदमा दर्ज किया है। इसे लेकर अदालत में सुनवाई का दौर चल रहा है। हिंदू पक्ष की मांग है कि पूरे परिसर को हिन्दुओं को सौंपा जाए। मंदिर निर्माण की इजाजत दी जाए। लेकिन मुस्लिम पक्ष इसके लिए राजी नहीं है। आपको बता दें कि ये मंदिर मुस्लिम बहुल सरैया इलाके में बना है। मंदिर के चारों तरह मुस्लिमों की बड़ी आबादी है। शायद यही कारण है कि जिला प्रशासन भी इस मामले से बचने की कोशिश करता रहा है।