नवापुरा, वाराणसी से जुड़ा है नागलोक जाने का मार्ग कारकोटक नागी तीर्थनागकूप, जिसे नागी तीर्थ के रूप में भी जाना जाता है। यह कूप अपनी अथाह गहराई के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि इस कूप का सम्बध पाताल लोक से है। इस कूप के बारे में कहा जाता है कि इस अगर कोई व्यक्ति नागलोक जाना चाहता है, तो नागकूप से होकर जा सकता है।
नागपंचमी के दिन कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। नागकूप की गहराई किसी को नहीं पता। इस कूप के अंदर से ही पाताल लोक का रास्ता है। माना जाता है कि इस कुएं से कई बार कई रहस्यमय आवाजें भी सुनाई देती हैं।
काल सर्प दोष की पूजा के लिए पूरी दुनिया में सिर्फ तीन जगहें हैं। इनमें से एक कुंड सबसे महत्वपूर्ण है। कहता है कि यहीं से पाताल लोक जाता है। कहते हैं इस कुंड के अंदर सात और कुंड हैं। माना जाता है कि यहां से पाताल लोक जाया जा सकता है। हालांकि, कोई भी इस रास्ते पर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया है क्योंकि कोई भी व्यक्ति इस रास्ते को पार नहीं कर सकता।
नागपंचमी के दिन पंतजलि भगवान सर्प रूप में आते हैं। इन्हें महादेव का अवतार भी माना जाता है। लोग भगवान के दर्शन करने के लिए बगल में नागकूपेश्वर भगवान की परिक्रमा करते हैं। भक्तों की गहरी आस्था है कि नाग पंचमी के दिन भगवान पंतजलि के दर्शन मात्र से सारे दुख दूर हो जाते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
पाताललोक में जाने वाले इस कूप में कुछ लोग दूध और लावा भी चढ़ाते हैं। उनका मानना है कि इससे पाताल लोक में रहने वाले शेषनाग की कृपा उन पर बनी रहती है और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस कुएं के आसपास कई प्रजाति के सांप भी निकलते रहते हैं लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि ये नाग किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते।