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Boat Rides on the Ganges: A Sacred Experience in Varanasi

Varanasi, the spiritual heart of India, is a city like no other. A boat ride on the Ganges River in Varanasi is a truly sacred and unforgettable experience, offering a unique way to immerse yourself in the ancient rituals, the stunning sunrise, and the rich cultural heritage of this timeless city. Known as Banaras, this city has attracted pilgrims, philosophers,

काशी के लोलार्क कुंड में डुबकी लगाने से पूरी होती संतान प्राप्ति की कामना

लोलार्क कुण्ड उत्तर प्रदेश के प्राचीन नगर बनारस में तुलसीघाट के निकट स्थित एक कुण्ड है। मान्यता अनुसार यह अति प्राचीन है तथा इस कुण्ड का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। कालान्तर में इन्दौर की रानी अहिल्‍याबाई होल्‍कर ने इस कुण्‍ड के चारों तरफ कीमती पत्‍थर से सजावट करवाई थी। इसी के समीप लोलाकेश्‍वर का मंदिर है। भादो महीने (अगस्‍त-सितम्‍बर) में यहां लक्खा मेला लगता है और तब काशी के इस लोलार्क

काशी में हैं भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग के मंदिर.

वाराणसी: काशी महादेव की प्रिय नगरी है. द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख बाबा विश्वनाथ (Kashi Vishwanath) यहां विराजमान हैं. शिव के इस प्रिय शहर में आदि विशेश्वर के साथ ही 12 अन्य ज्योतिर्लिंग भी विराजमान हैं, जिनका अपना ऐतिहासिक महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन से भक्तों को देश के अलग अलग हिस्सों में विराजमान ज्योर्तिलिंगों के

वाराणसी का इतिहास

वाराणसी का मूल नगर काशी था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, काशी नगर की स्थापना हिन्दू भगवान शिव ने लगभग ५००० वर्ष पूर्व की थी, जिस कारण ये आज एक महत्त्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। ये हिन्दुओं की पवित्र सप्तपुरियों में से एक है। स्कंद पुराण, रामायण एवं महाभारत सहित प्राचीनतम ऋग्वेद सहित कई हिन्दू ग्रन्थों में नगर का उल्लेख आता है।

रामनगर किला: वाराणसी में एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक खजाना

वाराणसी, जिसे काशी या बनारस के नाम से भी जाना जाता है, भारत के सबसे पुराने और पवित्र शहरों में से एक है। यह मंदिरों, घाटों और संस्कृति का शहर है, जहाँ हर साल लाखों तीर्थयात्री और पर्यटक भारत के आध्यात्मिक और जीवंत सार को देखने के लिए आते हैं। लेकिन वाराणसी केवल पवित्र नदी गंगा और प्राचीन मंदिरों के

संकट मोचन मंदिर की कहानी, जहां तुलसीदास जी को हनुमान जी ने दिए थे दर्शन.

वाराणसी भारत का एक ऐसा शहर है जो अपनी आध्यात्मिक सुंदरता और सांस्कृतिक परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। इसे “मंदिरों का शहर” कहा जाता है क्योंकि इसमें कई धार्मिक पूजा स्थल हैं और इसे भारत के सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। वाराणसी में प्राचीन रीति-रिवाजों, गहरी आध्यात्मिक मान्यताओं और जीवंत वातावरण का अनूठा मिश्रण है, जो

मोक्ष की नगरी में देवताओं का महापर्व, काशी की देव दीपावली.

देवदीवाली कार्तिक पूर्णिमा का त्योहार है जो यह उत्तर प्रदेश के वाराणसी मे मनाया जाता है। यह विश्व के सबसे प्राचीन शहर काशी की संस्कृति एवं परम्परा है। यह दीपावली के पंद्रह दिन बाद मनाया जाता है। गंगा नदी के किनारे जो रास्ते बने हुए है रविदास घाट से लेकर राजघाट के आखरी तक वहाँ करोड़ो दिये जलाकर गंगा नदी की पुजा की जाती है और गंगा को माँ का

काशी करवट मंदिर की कहानी, जहां ना आरती होती है ना घंटी बजती है

बनारस का ये मंदिर मणिकर्णिका घाट के पास दत्तात्रेय घाट पर है. यह मंदिर गंगा नदी के किनारे पर है और साल में जब भी गंगा नदी का जल स्तर ज्यादा होता है तो यह मंदिर पानी में डूब जाता है. अब सवाल ये है कि आखिर इस मंदिर में पूजा-अर्चना क्यों नहीं होती है. इसे लेकर कई तरह की

The Spectacular Ganga Aarti of Varanasi: A Divine Evening by the Sacred River

Join us on a journey to witness one of the most enchanting rituals in India, the Ganga Aarti of Varanasi. Set against the backdrop of the ancient city’s ghats, where pilgrims and seekers have gathered for centuries, this nightly ceremony is a breathtaking display of devotion and tradition. As the sun begins its descent over the horizon, the ghats of

भारत में अद्भुत वाराणसी का मणिकर्णिका घाट

मणिकर्णिका घाट वाराणसी में गंगा नदी के तट पर स्थित एक प्रसिद्ध घाट है। एक मान्यता के अनुसार माता पार्वती जी का कर्ण फूल यहाँ एक कुंड में गिर गया था, जिसे ढूंढने का काम भगवान शंकर जी द्वारा किया गया, जिस कारण इस स्थान का नाम मणिकर्णिका पड़ गया। एक दूसरी मान्यता के अनुसार भगवान शंकर जी द्वारा माता सती जी के

Discovering Sarnath: The Serene Gateway to Buddhist Heritage

Nestled on the outskirts of Varanasi, Sarnath stands as a testament to the profound legacy of Buddhism. It is here, in this serene setting, that Siddhartha Gautama, the Buddha, delivered his first sermon after attaining enlightenment. This historic event, known as the Dhammacakkappavattana Sutta or “Setting in Motion the Wheel of Dharma,” marked the beginning of the Buddha’s teachings on

Kashi Vishwanath Mandir: Unveiling the Spiritual Heart of Varanasi

Nestled on the western banks of the sacred river Ganges in Varanasi, the Kashi Vishwanath Mandir stands as a testament to centuries of spiritual devotion and architectural splendor. As one of the most revered temples in Hinduism, it beckons pilgrims and tourists alike with its aura of sanctity and historical significance. The history of Kashi Vishwanath Mandir is as ancient

Top Tourist Destinations

Explore the Mystical Charm of Varanasi: Top Tourist Destinations Varanasi, often referred to as the cultural capital of India, is a city that encapsulates centuries of history, spirituality, and architectural splendor. Nestled on the banks of the sacred River Ganges, Varanasi attracts millions of tourists and pilgrims from around the globe. From ancient temples to majestic forts, here are some

Religious Place

Exploring the Spiritual Magnificence: Religious Places in Varanasi Varanasi, often referred to as the spiritual capital of India, is a city steeped in religious significance and mythical wonder. Its ancient streets, lined with temples, ghats, and palaces, whisper tales of devotion and spirituality. In this blog, we embark on a journey through the sacred landmarks of Varanasi, delving into the

हाथ में डंडा, मुंह में पान बनारसी गुरु की यही पहचान

भारतेन्दु हरिश्चंद्र जी द्वारा उल्लेखित ये पंक्तिया किसी को भी ये बताने के लिए पर्याप्त है की पान की अहमियत एक बनारसी के लिए कितनी है। ये कहावत यु ही नहीं बनी है। पुराने ज़माने में बनारसी जब घर से बहार कही भी जाता था तो ये चिंता साथ में रहती थी की उस जगह मिज़ाज़ का पान मिलेगा या

Panchkoshi Yatra Varanasi – मुक्ति और मोक्ष का परिक्रमा पथ है पंचक्रोशी

ऐसी मान्यता है कि काशी क्षेत्र में देहान्त होने पर जीव को मोक्ष की प्राप्ति होती हैं, परन्तु काशी क्षेत्र कौन सा है, काशी क्षेत्र की सीमा निर्धारित करने के लिए पुराकाल में पंचक्रोशी मार्ग का निर्माण किया गया। काशी खंड के अनुसार ब्रह्मा और विष्णु युद्ध के मध्य पैदा हुए दिव्या ज्योतिपुंज की उर्जा पांच कोस (11 मील) तक

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